PCOD, थायरॉइड और हार्मोनल इम्बैलेंस में Positive Millets – Natural Healing Guide

PCOD, थायरॉइड और हार्मोनल इम्बैलेंस में Positive Millets – Natural Healing Guide

🌾 पीसीओडी, थायरॉइड और हार्मोनल असंतुलन में मिलेट्स – प्राकृतिक उपचार

आजकल लाखों महिलाएँ PCOD (Polycystic Ovarian Disease), थायरॉइड और हॉर्मोनल इम्बैलेंस जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं। इन बीमारियों की जड़ अक्सर गलत खानपान, ज्यादा प्रोसेस्ड फूड, व्हाइट राइस और गेहूं का अत्यधिक सेवन होती है।

ऐसे समय में, मिलेट्स (श्री अन्न) हमारी थाली में फिर से लौटकर एक प्राकृतिक उपचार के रूप में सामने आए हैं।


🌸 क्यों ज़रूरी है मिलेट्स?

  1. लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स – धीरे पचते हैं और ब्लड शुगर को स्थिर रखते हैं।
  2. उच्च फाइबर (8–12%) – शरीर से टॉक्सिन निकालने में मदद करते हैं।
  3. मिनरल्स से भरपूर – आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और कैल्शियम से हॉर्मोनल बैलेंस सपोर्ट होता है।
  4. ग्लूटेन-फ्री – गेहूं/मैदा से होने वाली सूजन और हार्मोनल गड़बड़ी से बचाते हैं।

🌼 पीसीओडी और मिलेट्स

PCOD में शरीर को चाहिए –

  • ब्लड शुगर कंट्रोल
  • इंसुलिन रेजिस्टेंस कम करना
  • ओवुलेशन को रेगुलर करना

👉 इसके लिए फॉक्सटेल (कंगनी), लिटिल (कुटकी) और कोदो (कोदो) मिलेट्स बेहद असरदार माने जाते हैं।
ये धीरे पचते हैं और इंसुलिन लेवल को कंट्रोल करके पीरियड्स को रेगुलर करने में सहायक हैं।


🌼 थायरॉइड और मिलेट्स

थायरॉइड में ज़रूरी है –

  • मेटाबॉलिज्म को एक्टिव करना
  • आयोडीन व मिनरल्स का सही अवशोषण
  • सूजन व थकान को कम करना

👉 बर्नयार्ड (सांवा) और ब्राउनटॉप मिलेट्स थायरॉइड के लिए श्रेष्ठ हैं।
ये एंटी-ऑक्सीडेंट्स और आयरन से भरपूर होते हैं और शरीर के हार्मोनल सिस्टम को संतुलित करने में मदद करते हैं।


🌼 हॉर्मोनल असंतुलन और मिलेट्स

चाहे बात हो अनियमित पीरियड्स, मूड स्विंग्स, वजन बढ़ना, या बाल झड़ना, इसका मूल कारण हार्मोनल असंतुलन है।

👉 पाँच Positive Millets (Foxtail, Barnyard, Kodo, Little, Browntop) रोज़ाना घुमाकर (Rotation में) खाने से –

  • हार्मोनल बैलेंस बनता है
  • शरीर की प्राकृतिक हीलिंग शुरू होती है
  • पीरियड्स रेगुलर होते हैं
  • वज़न नियंत्रित रहता है

🌿 सेवन कैसे करें?

  1. हफ़्ते में 5 दिन अलग-अलग Positive Millets का प्रयोग करें।
  2. इन्हें रोटी, उपमा, दलिया, इडली, डोसा जैसे पारंपरिक व्यंजनों में शामिल करें।
  3. शुरूआत धीरे-धीरे करें – रोज़ाना 1 बार मिलेट और 2 बार सामान्य खाना।
  4. पानी भरपूर पिएँ और प्राकृतिक जीवनशैली अपनाएँ।

✅ निष्कर्ष

मिलेट्स सिर्फ़ एक अनाज नहीं, बल्कि प्राकृतिक औषधि हैं। डॉ. खदर वली के अनुसार, नियमित रूप से Positive Millets का सेवन करने से PCOD, थायरॉइड और हार्मोनल असंतुलन जैसी बीमारियों को जड़ से ठीक किया जा सकता है।

👉 गेहूं और चावल से दूरी बनाइए, और DRB Positive Millet Atta से अपनी थाली को सेहतमंद बनाइए।
🌾 अब बनाइए नरम, स्वादिष्ट और हेल्दी रोटियाँ – बिल्कुल गेहूं जैसी, मगर बिना ग्लूटेन!



❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. क्या PCOD में बाजरा या रागी (Finger Millet) खा सकते हैं?

👉 बाजरा और रागी Neutral Millets हैं। ये पोषण तो देते हैं लेकिन PCOD जैसी बीमारियों को ठीक करने की क्षमता नहीं रखते। बेहतर होगा कि आप Positive Millets (Foxtail, Kodo, Little, Barnyard, Browntop) को प्राथमिकता दें।


2. थायरॉइड पेशेंट्स के लिए कौन सा मिलेट सबसे अच्छा है?

👉 Barnyard (सांवा) और Browntop मिलेट्स थायरॉइड के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं। इनमें भरपूर आयरन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।


3. क्या मिलेट्स से वजन भी नियंत्रित होता है?

👉 हाँ ✅ Positive Millets में 8–12% फाइबर होता है, जिससे खाना धीरे पचता है, भूख कम लगती है और वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है।


4. मिलेट्स को कितनी बार खाना चाहिए?

👉 डॉ. खदर वली के अनुसार, हफ़्ते में 5 दिन अलग-अलग Positive Millets को घुमाकर (Rotation) खाना चाहिए। इस तरह शरीर को सभी पोषक तत्व मिलते हैं और बीमारियों में सुधार होता है।


5. क्या मिलेट्स खाने से तुरंत फर्क दिखता है?

👉 नहीं। मिलेट्स कोई मैजिक पिल नहीं हैं। ये धीरे-धीरे शरीर को हील करते हैं। नियमित सेवन से 3–6 महीने में थायरॉइड, PCOD और हार्मोनल इम्बैलेंस में सुधार दिखने लगता है।


6. क्या DRB Millet Atta से रोटियाँ गेहूं जैसी बनेंगी?

👉 जी हाँ 🌾 DRB Positive Millet Atta खासतौर पर इस तरह बनाया गया है कि चकला-बेलन से नरम रोटियाँ बन सकें – बिलकुल गेहूं जैसी, लेकिन बिना ग्लूटेन और ज्यादा फाइबर के साथ।

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